ऋण देने में कोताही न बरते बैंक

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पटना । स्थानीय मौर्या होटल में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 82 वीं बैठक के अध्यक्षीय संबोधन में वित्त, वाणिज्य-कर एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य स्तरीय बैकर्स समिति की बैठक विभिन्न विभागों की महत्वाकांक्षी योजनाओं एवं बैंकिंग गतिविधियों के क्रियान्वयन की समीक्षा का प्रभावकारी मंच है। बिहार सरकार समाज में प्रभावकारी बदलाव लाने के लिए संवेदनशील प्रयास कर रही है। वित्तीय समावेशन एवं अन्य बैंकिंग गतिविधियों में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि बैंक हमारे सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण वाहक है, उन्हें इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए संवेदनशील प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में वार्षिक साख योजना एवं साख-जमा अनुपात में बेहतर काम हुए हैं, जो संतोषजनक है परंतु हमें इससे प्रेरणा लेकर अभी और अधिक दूरी तय करनी है।
श्री चौधरी ने कहा कि बिहार की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति पर गौर करते हुए एन.पी.ए. को कैसे रोका जाए, इसके गहन अध्ययन की जरूरत है। समीक्षा में पाया गया है कि कृषि के क्षेत्र में सबसे अधिक एन.पी.ए.के मामले प्रतिवेदित हुए हैं। परंतु हमें इसे सूक्ष्मता से देखने की जरूरत है। कृषि के किस सेक्टर में बैंकों ने ऋण दिए, ऋण के लिए परियोजना आवेदन कब प्राप्त हुए, उसकी स्वीकृति कब मिली ? उन्होंने कहा कि एम.एस.एम.ई., किसान क्रेडिट कार्ड अथवा बड़े उद्योग में एडवांस देने का मामला भी तकनीकी रूप से देखने की जरूरत है। हम चाहते हैं कि बैंकों की सर्विस प्रभावकारी रुप से चले। उन्होंने कहा कि बैंकों को जहां भी सरकार की मदद की जरूरत हो, बिहार सरकार आगे बढ़कर मदद करेगी। सरकार की मंशा से सभी बैंक अवगत हैं, सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों और उसके लक्ष्यों के अनुरूप क्रियान्वित करने की बातें बैंको मालूम है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति में बैंकों के वरीय अधिकारी, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और नाबार्ड के राज्य स्तरीय अधिकारी सदस्य हैं, ऐसी स्थिति में एक बेहतर माहौल और पारदर्शिता के साथ प्रभावकारी काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी योजना के समुचित और प्रभावकारी क्रियान्वयन में पारदर्शिता बेहद जरूरी है। आवेदकों द्वारा दिए जाने वाले प्रस्ताव आवेदन कब से लंबित है, इसे भी गंभीरता से देखने की जरूरत है। आवेदनों को लंबे समय तक लंबित रखना अच्छी बात नहीं है। यदि प्राप्त परियोजना प्रस्तावों अथवा आवेदनों को बैंक अस्वीकृत कर रहे हैं, तो उसके पर्याप्त कारण आवेदक को बताए जाने चाहिए। इससे लोगों में विश्वास पैदा होगा। तभी बैंक और सरकार अपने मकसद में कामयाब हो सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार तो बिहार के लोगों और उद्यमियों का विकास चाहती है। बैंक ऋण से संबंधित आवेदनों को पूरी पारदर्शिता के साथ समयबद्ध तरीके से निष्पादित करें। राज्य सरकार उद्योगों के विकास के लिए कृत संकल्पित है। नवीन अवसरों के मद्देनजर एम.एस.एम.ई. क्षेत्र में ए.सी.पी. लक्ष्य को चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में दोगुना कर 70 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में एम.एस.एम.ई. क्षेत्र में 17019 करोड़ रुपए का साख वितरित किया गया है। यह वार्षिक लक्ष्य का 24.31 प्रतिशत है। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि बैंकों के द्वारा उद्योग लगाने के इच्छुक इकाइयों एवं स्टार्ट-अप इकाइयों को सुविधापूर्ण एवं तत्परता पूर्वक ऋण उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से काम किए जाएं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के लगातार प्रयास और बैंकों द्वारा सहयोग में बढ़ोतरी के कारण हमारी स्थिति काफी अच्छी हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य के बैंकों को वार्षिक साख योजना हेतु 2,04,145 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया है। इस लक्ष्य के विरुद्ध 52,548 करोड रुपए का साख बैंकों द्वारा वितरित किया जा चुका है, जो लक्ष्य का 25.74 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि राज्य का साख-जमा अनुपात जून 2022 के अंत में 52.83 प्रतिशत रहा है। साख-अनुपात में पिछले वर्षों में लगातार वृद्धि हुई है। उन्होंने बैंकों को निर्देश देते हुए कहा कि इसे राष्ट्रीय औसत (लगभग 75 प्रतिशत) तक ले जाने का सतत् प्रयास सुनिश्चित हो। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि बैंकों के द्वारा ऋण आवेदन की प्रक्रिया को यथासंभव ऑनलाइन किया जाए।
श्री चौधरी ने कहा कि आज की बैठक में सभी बैंकों ने आने वाले दिनों में इस सहयोग और परफारमेंस को और अधिक बढ़ाने का आश्वासन दिया है। मुझे उम्मीद है कि बैंकों का सहयोग बढ़ेगा, जिससे सरकार की योजनाएं अच्छे तरीके से क्रियान्वित होंगी एवं उसी से बिहार के विकास को बल मिलेगा। आज की बैठक में प्रखंड स्तरीय बैंकर्स समिति एवं जिला स्तरीय बैंकर्स समिति की नियमित बैठकों को आयोजित करने, पूर्व बैठक के निर्णय पर की गई कार्यवाही, वार्षिक साख योजना, साख-जमा अनुपात, एन.पी.ए. के मामले, एम.एस.एम.ई, पी.एम.ई.जी.पी., किसान क्रेडिट कार्ड, पंचायतों में बैंक की शाखा खोलने इत्यादि अन्य विषयों पर गहन समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्देश दिए गए। बैठक के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, उद्योग मंत्री श्री समीर कुमार महासेठ एवं कृषि मंत्री श्री सुधाकर सिंह ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
बैठक के दौरान वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० एस. सिद्धार्थ, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव श्री संदीप पौंड्रिक, कृषि सचिव डॉ० एन० श्रवण कुमार, भारत सरकार के वरीय अधिकारी डॉ० भूषण सिन्हा, अपर सचिव (सांस्थिक वित्त) श्रीमती अभिलाषा शर्मा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड के महाप्रबंधक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक सहित विभिन्न बैंकों के राज्य स्तरीय अधिकारीगण और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिला पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता (बैंकिंग), जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक उपस्थित थे।

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