मोदी कैबिनेट में मंत्री विस्तार के बाद राजनीतिक हलकों में बयानबाज़ी तेज हो गई है। सच कहे तो राजनैतिक बयानबाज़ी की जगह लज्जा से शरमाई मीडिया या यूॅ कहे कि खास कर सोशल मीडिया मे राजनैतिक बयानबाज़ी तेज है। बात बिहार का करे-जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर सी पी सिंह कैबिनेट में शामिल होकर कोई भी चौंकाने का ना तो कोई काम किया और ना ही कोई कम्पीटिशन निकाला है। यह सब पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार जो होना था वह हुआ। दरअसल सच्चाई तो यह है कि जदयू नितीश कुमार की अपनी राजनैतिक पार्टी है।यहाँ सिर्फ उनकी ही चलती है। पार्टी हेड को पता तो था ही कि कल क्या होने वाला है।यही वजह से कल नितीश कुमार ने मंत्रीमंडल के सवाल पर स्पष्ट कहा था कि जो बोलेगे वो राष्ट्रीय अध्यक्ष कहेगें। अब मामला ललन सिंह का जाने,,राजनैतिक रूप से ललन सिंह किसी भी स्तर से कमजोर नहीं है। खास यह है कि बिहार में सत्ता संभाल रहे नीतीश कुमार भाजपा के रहमोकरम पर है।वर्ष 2019 के हालात 2021का नहीं है। ऐसे में मोदी के प्रसाद को बिना लिए भागना नितिश के वश का नही है।मोदी से जो मिले वह काफी है। हलाकि ललन सिंह की बात करे तो ललन निर्णय के बहुत धनी माने जाने वाले नेताओं मे एक है।मै जितना जानता हूँ ललन निर्णय पहले करते हैं विचार बाद मे।सांसद ललन का मंत्री ना बनना उनके लिए दर्द भरे बात जरूर है लेकिन नीतीश प्रेम भी उतने ही माने रखता है। अब देखना यह होगा कि ललन कल से यदि लम्बे छुट्टी पर निकल गये तो सोचनीय सवाल है ।हलाकि ललन सिंह को मंत्री नहीं बनाने पर तरह-तरह के प्रतिक्रया स्वाभाविक है। कही ट्रोल तो कही अफसोस शुरू है।बावजूद ललन को लेकर आज मिडिया पर सवालों का बाजार गर्म है।
मंत्री मंडल को लेकर चर्चा तेज
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