पटना, 4 जुलाई।
बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने अपने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा हाल में किये गए तबादलों में गड़बड़ी और हेराफेरी का आरोप लगाते हुए मंत्री पद से अपने इस्तीफे की जो पेशकश की है उससे बिहार में बढ़ती अफसरषाही के शिकंजे का पर्दाफाश हुआ है। इससे नीतीष कुमार सरकार के सुशासन और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टाॅलरेंस की असलियत सामने आ गई है। गौरतलब है कि कई अन्य मंत्रियों ने भी सहनी द्वारा अफसरशाही पर उंगली उठाने का समर्थन किया है। इन मंत्रियों में प्रमुख हैं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज सिंह बबलू, कला एवं संस्कृति मंत्री आलोक रंजन झा व लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रामप्रीत पासवान। इससे पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के एक अन्य घटक ‘हम’ के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी आरोप लगाया था कि कम से कम 20 प्रतिषत अधिकारी ऐसे हैं जो मंत्रियों और विधायकों की बात नहीं सुनते हालांकि उनके पुत्र अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार मांझी ने अफसरशाही का बचाव करते हुए नौकरशाहों ओर अधिकारियोंको मंत्रियों के परामर्ष के लिए कान करार दिया है जिससे वे सुनते हैं।
मदन सहनी ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि इनमें से भ्रष्टाचार में संलिप्त अनेक नौकरषाह मुख्यमंत्री के करीबी हैं। यह सब कहने के बाद भी मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है और वह दिल्ली चले गए हैं, कहा है कि लौटने के बाद मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बातें रखूंगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि कोरोना महामारी और बाढ़ की विभीषिका के बीच राज्य सरकार के मंत्रियों के बीच इस प्रकार की उठापटक से राज्य की जनता का भारी नुकसान हो रहा है और मुख्यमंत्री इस पर त्वरित कार्यवाही करने से बच रहे हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। पार्टी के राज्य सचिव राम नरेश पाण्डेय ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करें ताकि राज्य की जनता को विपत्ति की इस घड़ी में परेषानियों का सामना ना करना पड़े, सुषासन और न्याय के साथ विकास के उनके मंसूबे खटाई में न पड़ जाए। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन सरकार के दलों में आपसी सामंजस्य का अभाव साफ दिखाई पड़ रहा है और भाजपा के मंत्री इसको हवा देते दिखाई पड़ रहे हैं। जो भी हो नीतीष कुमार को इस मसले पर साफगोई के साथ बिहार की जनता के सामने आना चाहिए और अफसरशाही व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहिये।
अफसरशाही व भ्रष्टाचार पर नीतीश सरकार कटघरे में।
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