अरवल,सरकार केवल लफ्फाजी कर रही है, जमीन पर कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रही है. आज नल जल योजना लूट का पर्याय बन गया है. जल- जीवन-हरियाली के नाम पर बड़े-बड़े ठेकेदारों, नेताओं और पदाधिकारियों की मोटी कमाई की योजना बन कर रह गई है. गरीबों को उजाड़ने और बेदखल करने की साजिश है. इस साजिश को गरीबों को समझना होगा. हमें हर तरह से एकता बनाये रखने की कोशिश करनी होगी.
जाति के नाम पर ये लोग चुनाव में जनता से वोट तो ले लेते हैं, लेकिन जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कुछ नहीं कर पाते. हैबतपुर के पुराना इतिहास रहा है कि आप गरीबों की एकता के बल पर बड़ी- बड़ी लड़ाइयां जीते गए हैं. अपने हक अधिकार भी हासिल करने में गरीबों की एकता और संघर्ष की अहम भूमिका रही है. लोकतांत्रिक अधिकार जैसे वोट देने का अधिकार जो आजादी के बाद सभी नागरिकों को हासिल हो गया था उसे हासिल 80 के दशक में संघर्ष के बल पर किया गया.
गांव के बीच में पोखर है. जिसके चारों तरफ गरीबों का मकान बना हुआ है. जल जीवन हरियाली के नाम पर उसकी उड़ाही हुई है. गरीबों के बने मकान ध्वस्त करने की भरपूर कोशिश किया गया लेकिन पार्टी के आंदोलन से मकान बचा. लेकिन इस पोखर को मछली पालन के नाम पर माफिया और बिचौलियों को देने की साजिश चल रही है जो उचित नहीं है. गांव के गरीब, किसान, मजदूर इस पोखर के मछली का उपयोग करेंगे इसके लिए व्यापक किसान- मजदूर – गरीबों को एकजुट रहने की जरूरत है. उपरोक्त बातें भाकपा माले के जिला सचिव महानंद ने हैबतपुर में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं.
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां गरीबों के सामने संकट है. राशन समय पर नहीं मिल पा रहा है. भारी पैमाने पर गरीब राशन कार्ड से वंचित हैं. सरकार उनके लिए कोई कदम नहीं उठा रही. केवल अखबारी बयान के अलावे कुछ भी नहीं है. गांव में नल जल योजना के तहत लाखों – करोड़ों रुपए बर्बाद किए जा रहे हैं. लेकिन कहीं भी सही ढंग से नल जल योजना लागू नहीं हो पाया है. ग्रामीण लोगों के लिए समय पर पानी मिले, नल चालू हो ऐसा शायद ही कहीं मिलता है. सभी जगह नल जल योजना लूट का पर्याय बन गया है. सैकड़ों करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए गए. लेकिन किसान मजदूर के असली समस्या का समाधान के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि छह-सात महीनों से गरीब बच्चों की पढ़ाई बंद है. ऑनलाइन पढ़ाई सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं है. जो गरीब बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं उनके पास 10 से 20 हजार के मोबाइल खरीदने की हैसियत नहीं है. बहुत सारे गरीबों के सामने ऐसी संकट है कि उन्हें राशन छुड़ाने के लिए पैसे भी नहीं होते. ऐसी स्थिति में अस्पष्ट हो गया है गरीबों के लिए अब पढ़ाई कुल मिलाकर समाप्त की और बढ़ाई जा रही है. सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति भी गरीब – किसान – मजदूरों के बच्चों के पढ़ाई से वंचित करने का ही है.
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के खिलाफ इस लॉकडाउन और कॅरोना महामारी का इस्तेमाल दमन करने के लिए कानून बनाने में किया जा रहा है. अभी किसान विरोधी अध्यादेश लाया गया है, जिसमें बिजली निजी करने, खाद्यान्न , तिलहन , दलहन एवं आलू-प्याज पर कानून का शिकंजा अब नहीं होगा. उसे समाप्त कर दिया गया है. किसानों की जमीन अधिग्रहण के मामले में जो कानून किसानों के पक्ष में थे, उसे शिथिल कर कारपोरेट के पक्ष में किया गया है. यह सब समझना होगा. हमें हिंदू- मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद की लड़ाई के बजाए अपने पढ़ाई, रोजगार, रोजी-रोटी के सवाल को लेकर एकजुट होना होगा इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
सभा को संबोधित करते हुए पार्टी के राज्य कमेटी सदस्य रविंद्र यादव ने कहा की गरीबों को एकजुट होकर दबंगों और सामंती ताकतों के हमले का मुंहतोड़ जवाब देना होगा हमें आज की तारीख में एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है. सभा को महेंद्र प्रसाद, अबगिला पंचायत के सरपंच पति अशोक यादव, बीरबल सिंह, सिद्धनाथ यादव, कपिल सिंह समेत कई नेताओं ने संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता अबगिला पंचायत के पूर्व मुखिया कॉमरेड शिवदयाल सिंह
गरीबों की एकता के बल पर संघर्ष करेगी माले*
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