नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद आज पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र बेतिया के ‘हजारी शरणार्थी कालोनी’ में रहने वाले बंगाली शरणार्थी भाई-बहनों से बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉo संजय जायसवाल जी ने मुलाकात की।इस कानून के लागू होने की ख़ुशी इनके चेहरों पर साफ़ झलक रही थी। बात-चीत के दौरान माननीय प्रधानमंत्री जी तथा माननीय गृहमंत्री जी का कोटि कोटि आभार व्यक्त करते हुए लोगों ने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन कानून नहीं लागू होता तो बंगलादेश जाने से बेहतर इनके लिए मर जाना ज्यादा होता।
यह एक वाक्य ही नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों के सभी तर्कों पर भारी पड़ता है। यह एक लाइन इन जैसे लाखों-करोड़ों शरणार्थियों की दारुण व्यथा जिसे यह बिना किसी गलती के दशकों से झेलने को विवश थे, उसे उजागर कर देते हैं।
अपने शानदार महलों के एसी कमरों में, मखमली सोफों पर बैठ कर इस कानून के विरोध में नये-नये कुतर्क गढ़ने वाले लोगों को, जमीन पर उतर कर कम से कम एक बार इन शरणार्थियों से रूबरू जरुर होना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि एक इंसान का जीवन किसी भी राजनीतिक उपलब्धि से कहीं ज्यादा मायने रखता है।
बहरहाल भारतीय नागरिक होने का ‘गर्व’ क्या होता है, जमाने बाद इन शरणार्थियों के चेहरों पर आयी ख़ुशी, उसे साफ़ बयान कर देती है.