अब काठमांडू जाएगी भारतीय ट्रेन

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रक्सौल-काठमांडू नई रेल लाइन सर्वेक्षण

भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2004 में रक्सौल से लगभग 5.5 किलोमीटर तक रेल लिंक द्वारा भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ते हुए नेपाल के बीरगंज में इनलैंड कंटेनर डिपो स्थापित किया गया था, जो वर्तमान में सुचारू रूप से कार्यरत है । नेपाल में अवसंरचना के विकास की आवष्यकता को महसूस करते हुए भारत और नेपाल सरकार ने रक्सौल (भारत) से काठमांडू (नेपाल) को रेलमार्ग से जोड़ने के लिए एक सर्वेक्षण करवाने का निर्णय लिया गया ताकि आम लोगों को सीमापार यात्रा के लिए रेल सेवा मुहैया कराया जा सके साथ ही माल परिवहन भी सुचारू रूप से किया जा सके । रेलवे की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए भारत और नेपाल के माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में दिनांक 31 अगस्त, 2018 को इससे संबंधित समझौता ज्ञापन ;डव्न्द्ध पर हस्ताक्षर किए गए । इसके साथ ही रक्सौल से नेपाल की राजधानी काठमांडू के बीच रेल लाइन बनाने का रास्ता साफ हो गया है । यह वृहत रेल परियोजना है जिससे नेपाल और भारत के बीच सांस्कृतिक व व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ होंगे । दोनों देषों के बीच इस रेलखंड के निर्माण को लेकर काफी उत्सुकता है । रक्सौल से काठमांडू के बीच की दूरी लगभग 145 से 150 किलोमीटर है । नई लाइन बन जाने से यह दूरी सिमटकर 136 किलोमीटर रह जाएगी । सर्वेक्षण के अनुसार बीरगंज, निजगढ़, षिखरपुर, सिसनेरी और काठमांडू जैसे महत्वपूर्ण स्थानों को रेलमाार्ग से जोड़ने के लिए रक्सौल से काठमांडू तक की यह रेल परियोजना लगभग 136 किलोमीटर लंबी होगी । इस परियोजना को इस तरह से प्रस्तावित किया गया है कि नेपाल के आरक्षित वनों, संरक्षण क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों को बचाया जा सके । पस्तावित नई रेल लाइन परियोजना में रक्सौल, बीरगंज, बगही, पिपरा, धूमरवाना, काकड़ी, निजगढ़, चंद्रपुर, धीयाल, षिखरपुर, सिसनेरी, सथिकेल और काठमांडू सहित कुल 13 स्टेषन होंगे । इस खंड पर कुल 32 सड़क उपरी पुलों, 53 अंतरगामी पथों , 259 छोटे पुलों तथा 41 बड़े/महत्वपूर्ण रेल पुल होंगे । प्रस्तावित रेलखंड में कुल 39 सुरंगों का भी निर्माण किया जाएगा जिसकी कुल लंबाई 41.87 किलोमीटर होगी । इस नई रेल लाइन परियोजना की भूमि की लागत को छोड़कर कुल अनुमानित लागत लगभग 16,550 करोड़ रूपए (भारतीय मुद्रा में) है । अपेक्षित भूमि और धनराषि उपलब्ध हो जाने के बाद इस परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा तत्पष्चात् रेलमार्ग द्वारा रक्सौल से काठमांडू पहंुचने का सपना साकार हो सकेगा ।

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