जैसा कि सर्वविदित है राजेंद्रसेतु को मालवाहक वाहनों के आवागमन को लेकर बंद करने के बाद बेरोजगार हुए लाखों की आबादी की एक मात्र उम्मीद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी हुई है।
इसे लेकर आज मुख्यमंत्री से मिलने एक डेलीगेट पटना गया हुआ था परंतु मुख्यमंत्री के अस्वस्थ होने के कारण मुलाकात नही हो सकी।
हालाँकि उनके निजी सचिव ने मामले की गंभीरता को समझते हुये इसे सकारात्मक लिया और मुख्यमंत्री तक बात पहुँचाने के लिए आश्वस्त करते हुऐ दो तीन दिन बाद सी एम से मिलने का समय दिया है। उक्त डेलीगेट एक बैठक कर आपस मे यह शपथ लेने के बाद गया था कि वाहन समेत दस टन ही परिचालन करेंगे ताकी रोजगार और सेतु दोनो को बचाया जा सके।
गौरतलब है कि बालू की आवाजाही बंद होने से किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य और उससे जुड़ी वस्तुओं की बिक्री के साथ ही उससे जुड़े व्यवसायी और मजदूरों के सामने बेरोजगारी की अचानक उतपन्न हुई स्थिति से लोग हतप्रभ हैं और सरकार की तरफ टकटकी लगायें देख रहे हैं।उत्तर और मध्य बिहार के
आठ नौ जिले के प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े करोड़ों लोगों के लिए मुख्यमंत्री ही एक मात्र सहारा बचे हैं। वहीं डेलीगेट में शामिल प्रतिनिमण्डलड को यह पूर्ण विश्वास है कि मुख्यमंत्री एक संवेदनशील और विकासोन्मुख व्यक्ति हैं अतः वे करोड़ो लोगों को भुखमरी और बेरोजगारी के हवाले नही कर सकते। और इसी विश्वास के साथ डेलीगेट उनसे मिलने गया था। जो सकारात्मक भाव लेकर लौटा है।
(पटना ग्रामीण से रवि शंकर शर्मा की रिपोर्ट)
राजेंद्रसेतु मामला- अब मुख्यमंत्री ही एक मात्र उम्मीद
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