15 वर्ष पुराने व्यावसायिक-सरकारी वाहन प्रतिबंधित होंगे

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वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये मुख्यमंत्री ने की उच्चस्तरीय बैठक

वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये बैठक में लिये गये कई महत्वपूर्ण निर्णय

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पटना। अणे मार्ग स्थित संकल्प में मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार ने वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री के समक्ष इस संबंध में एक प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री को बिहार के वायु प्रदूषण की स्थिति की जानकारी दी गयी, जिसमें बताया गया कि पटना, गया और मुजफ्फरपुर को देष के 102 ननअटेनमेंट सिटी के रूप में चिह्नित किया गया है। वायु प्रदूषण के भौगोलिक एवं मानव जनित कारकों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी। मेजरमेंट आॅफ एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के तहत विभिन्न कारकों की जानकारी दी गयी। वर्ष 2016 से 2019 का एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स के बारे में भी बताया गया। 1 अक्टूबर से 3 नवम्बर तक के पार्टिकुलेट मैटर (पी0एम0 2.5) की भी जानकारी दी गयी। मानव जनित कारकों में वाहनों से होने वाले प्रदूषण, धूल कण, कंस्ट्रक्षन एक्टिविटिज, कूड़ों का जलना, कंस्ट्रक्षन मेटेरियल का ट्रांसपोर्टेषन जैसे अन्य कारणों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी। यह भी जानकारी दी गयी कि पटना में प्रदूषण के कारकों में 32 प्रतिषत वाहन, 7 प्रतिषत उद्योग, 4 प्रतिषत ईंट-भट्ठा, 12 प्रतिषत धूल कण, 5 प्रतिषत डी0जी0 सेट, 7 प्रतिषत अवषेष का जलाव, 10 प्रतिषत हिटिंग, 6 प्रतिषत कुक लाइट, बाहर एरिया (बाउंड्री) से 17 प्रतिषत शामिल हैं। साथ ही मुजफ्फरपुर एवं गया के मानव जनित कारकों की भी जानकारी दी गयी। प्रस्तुतीकरण में तैयार किये गये एक्षन प्लान के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। प्रदूषण के कारणों एवं उस पर नियंत्रण के लिये जिला के स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमिटी बनायी गयी है। राज्य के स्तर पर प्रधान सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन की अध्यक्षता में माॅनिटरिंग कमिटी बनी है और मुख्य सचिव के स्तर पर राज्यस्तरीय माॅनिटरिंग कमिटी की बैठक कर इसके लिये दिषा-निर्देष दिये जाते हैं, जिसे जिला स्तर पर कार्यान्वित किया जाता है।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण की समस्या पूरे देष में बढ़ रही है। खासकर वायु प्रदूषण पिछले कुछ दिनों से हमलोगों के लिये चिन्ता का विषय बना हुआ है। बिहार में भी इसकी समस्या कुछ दिखने लगी है, वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये विषेष रूप से हम सबको मिलकर काम करना होगा। वाहनों से होने वाले प्रदूषण एक मुख्य कारण बताया जा रहा है। खासकर शहरों में आॅटो रिक्षा, सिटी बसों में किरासन तेलों के उपयोग की भी षिकायत मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी जानकारी प्राप्त कर ली जाय कि किरासन तेल का दुरूपयोग वाहन के ईधन के रूप में तो नहीं हो रहा है। बैठक में 15 वर्ष से ज्यादा पुराने व्यावसायिक वाहनों एवं सरकारी वाहनों को वायु प्रदूषण कम करने के लिये प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 वर्ष से पुराने निजी वाहनों की फिटनेस की जाॅच फिर से की जाय। इस पर सख्ती से कार्रवाई की जाय। राज्य के ईंट-भट्ठे खासकर पटना के आसपास के इलाकों के ईंट-भट्ठे की भी जाॅच करवा ली जाय कि वे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं या नहीं, इसके लिये सख्ती बरतने की आवष्यकता है। शहर के कचरा उठाने वाली गाड़ी कचरे को ढंककर ही डंपिंग प्वाईंट पर ले जायें, इसे हर हाल में सुनिष्चित किया जाय। पटना नगर निगम को शहरों की सफाई एवं अन्य जरूरी संसाधनों की कमी नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि देष के बाहर के तकनीक के अध्ययन की जरूरत है कि कैसे शहरों में धूल कण न रहे। पुराने डी0जी0 सेट बैन किये गये हंै, इस पर पूर्णतः रोक लगाने के लिये सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली (पुआल) जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकना है। कम्बाइंड हार्वेस्टर के माध्यम से फसलांे की कटाई करने वाले लोगों को समझाना है कि पराली न जलायें। लोगों को इसके लिये जागरूक करना है। किसानों को यह जानकारी देनी होगी जो पराली जलायेंगे, उन्हें कृषि से संबंधित सब्सिडी नहीं दी जायेगी। पुआल के आर्थिक उपयोग के लिये भी किसानों को प्रेरित करना है। किसान सलाहकार एवं कृषि से जुड़े लोगों की टेªनिंग करवाकर गाॅव-गाॅव किसानों को पराली से होने वाले नुकसानों के बारे में जाकरूक करायें। उन्हांेने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने और फसल अवषेष को जलाने से रोकने के लिये इसे जल-जीवन-हरियाली अभियान का हिस्सा बनाना होगा। वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों एवं उसके नुकसान के बारे में लोगों को जानकारी देनी होगी और उनके बीच में इसे प्रचारित करते रहना होगा। एंटी पाॅलूषन के लिये जागरूकता पैदा करने हेतु जगह-जगह पर होर्डिंग लगाने की जरूरत है। शहरों में सड़कों के किनारे भी वृक्ष लगाने के उपाय करें। कल से पटना की मुख्य सड़कों और कंस्ट्रक्षन साइट्स पर पानी का छिड़काव सुनिष्चित किया जाय। इलेक्ट्रिक एवं सी0एन0जी0 वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा दें। पटना के अलग-अलग जगहों पर माॅनिटरिंग मषीन लगायें ताकि पाॅलूषन के कारकों का आंकलन हो सके। उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्षन, बिल्डिंग स्ट्रक्चर को ढंकने की व्यवस्था करायें ताकि धूल कण नहीं फैले। ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिये रात में दस बजे के बाद लाउड स्पीकर पर रोक तो है ही सुबह में भी इसके समय को बढ़ाये जाने की जरूरत है। शहरों में तीव्र आवाज में हाॅर्न बजाने पर नियंत्रण करें। पटाखे नहीं जलाने के लिये लोगों को जागरूक करें। यह सुनिष्चित किया जाय कि कंस्ट्रक्षन मेटेरियल की ढुलाई ढंककर ही हो।
बैठक में उप मुख्यमंत्री सह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री सुषील कुमार मोदी, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, प्रधान सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री दीपक कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, बिहार स्टेट पाॅलूषन बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए0के0 घोष, सचिव नगर विकास एवं आवास श्री आनंद किषोर, सचिव कृषि श्री एन0 सरवन कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सचिव परिवहन श्री संजय कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष बिहार राज्य पुल निर्माण निगम श्री जीतेन्द्र श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, सदस्य सचिव बिहार स्टेट पाॅलूषन कंट्रोल बोर्ड श्री आलोक कुमार, अपर सचिव पथ निर्माण श्री दिवेष सेहरा, अपर सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय श्री चन्द्रषेखर सिंह, मुख्यमंत्री के विषेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, जिलाधिकारी श्री कुमार रवि, आयुक्त पटना नगर निगम श्री अमित कुमार पाण्डेय, वरीय पुलिस अधीक्षक श्रीमती गरिमा मलिक, भारतीय मौसम विज्ञान केन्द्र के प्रतिनिधि सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

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