नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) एक ऐसा कानून है जो इस समाज को धर्म के आधार पर बांट देगा। हमारा संविधान कहता है कि धर्म के आधार पर हम ये निश्चित कभी नही करेंगे कि किस व्यक्ति का या किस समुदाय को कितने अधिकार मिलेंगे या कितनी सुविधाएं सरकार सुनिश्चित करेगी।
ये कानून संविधान और भारतीय परम्पराओं की धज्जियाँ उड़ाता है और धर्म के आधार पर भारत की नागरिकता को कानूनन रूप देती है।
शरणार्थी वही लोग होते है जो जरूरत मंद होते है, सताये लोग होते है, जिनको उनके अधिकारों से बंचित कर दिया जाता है, ऐसे लोग कोई भी हो सकते है, चाहे हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाई हो। भारत की परंपरा रही है कि हम अपना हाथ बढ़ाते है और उनकी मदद करते है, लेकिन ये कानून अब ऐसा कुछ भी नही रहने देगा।
इस कानून का एक मात्र उद्देश्य ये है कि एक धर्म के शरणार्थीयो को भारत की नागरिकता नहीं देना, बाकी सबको देंगे। ऐसा कानून कही देखा है? ऐसा कानून पाकिस्तान में हो सकता है, अफगानिस्तान में हो सकता है या फिर हिटलर के नाज़ी जर्मनी में हो सकता है, भारत मे कभी नहीं हो सकता है। हम गंगा-जमनी तहज़ीब को बिगड़ने नहीं देंगे।
हमे ये तय करना होगा कि हम पाकिस्तान बने या भारत, ऐसा नहीं हो सकता है कि हमारा कानून नाज़ी जर्मनी और पाकिस्तान जैसा हो, लेकिन हम हिंदुस्तान बने रहे? धर्म के नाम पर लोगो को सुविधा मुहैया करवाना, उनके अधिकार सुनिश्चित करना, ये ना तो गाँधी का सपना था, न अम्बेडकर का, न नेहरू का और न ही लोहिया और कर्पूरी ठाकुर का। ये सपना बस ज़िन्ना का था या फिर सावरकर, गोलवलकर और गोडसे का, जिनको ये भारत रत्न बाँटने वाले है।
ये एजेंडा बस उनका हो सकता है जो बांटो और राज करो कि नीति पर चलते है। इस कानून का बस एक मतलब है कि एक समुदाय को द्विदर्जिया नागरिक बना दिया जाए। और इससे भयावह अभी इस सरकार की NRC की नीति है। CAB और NRC दोंनो मिलकर एक ऐसी व्यवस्था को जन्म देगा जो बड़ी संख्या में एक समुदाय के लोगों को ग़ुलाम बना देगी। सरकार पहले NRC के नाम पर लोगो को चिन्हित करेगी और फिर कहेगी की आप मुसलमान है, इसलिए आपको अब नागरिकता भी नही मिल सकती।
और इ काले क़ानून का साथ नीतीश कुमार का JDU दे रहा है जो अपने आप को secular कहता है। फिर से नीतीश कुमार जी ने अपने नीति, सिद्धांत और विचार को बेच दिया। इनका भी सपना लगता है अब हिंदू राष्ट्र बनाने का हो गया है, जिसमें कोई सम्मान से नही रह सकता।
क्या नीतीश कुमार नहीं जानते कि यह कानून ग़लत है और समाज को बाँटेगा लेकिन साहब कुर्सी के चक्कर मे संविधान, समाज, जनादेश और समाज के लोंगो से विश्वासघात कर रहे है।
आखिर नीतीश कुमार की मज़बूरी क्या है?? किससे डरे हुए है कि कट्टर साम्प्रदायिक तक बनने को तैयार हो गए है? वो खुद भी भी चंद दिनों पहले तक ऐसे कानून का विरोध कर रहे थे।
इन सबका मक़सद समाज मे संदेह पैदा करवाना है और सद्भाव, भाईचारा और प्रेम से रह रहे लोगों के बीच, हमारे बीच नफ़रत की दीवार खड़ी करना है। हमारा लक्ष्य है कि हम इस भाईचारे को बचाये और बनाये रखे, और ऐसे नफरत पैदा करने वालों को समाज और राजनीति से निकाल फेंके। संविधान के द्वारा समानता का अधिकार को हम ऐसे ही सुरक्षित रख सकते है, CAB के ख़िलाफ़ लोंगो के बीच जाये, NRC के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें।