राजद लीडर शिवानंद तिवारी ने सीएम नीतीश के नागरिकता संशोधन विधयेक के विरोध का किया स्वागत

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नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन विधयेक के विरोध की घोषणा की है। इसका मैं स्वागत करता हूं। लेकिन इस विरोध का स्वरूप कैसा होगा इसको लेकर संशय हो रहा है। इसलिए कि इसके पहले उन्होंने तीन तलाक कानून तथा संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का भी विरोध किया था। लेकिन वह विरोध औपचारिक और दिखावटी साबित हुआ. क्योंकि उपरोक्त दोनों अवसरों पर नीतीश जी की पार्टी के सांसदों ने भाषण तो जरूर विरोध में किया। लेकिन जब पक्ष विपक्ष में वोट डालने का अवसर आया तो उन्होंने सदन का बहिर्गमन कर दिया। इस प्रकार उपरोक्त दोनों अवसरों पर अप्रत्यक्ष ढंग से नीतीश जी ने भाजपा की मदद ही की थी।
नागरिकता संशोधन विधयेक हमारे संविधान की आत्मा का हनन करता है। साथ ही इस विधेयक के विरोध में देश की उत्तरी पूर्वी सीमा पर स्थित सभी आठ राज्योंके नागरिक मोदी सरकार के विरुद्ध बग़ावत की मुद्रा में हैं. पाँच हज़ार किमी से ज़्यादा लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर का यह इलाक़ा है. जबकि उन्हीं में एक अरुणाचल प्रदेश पर तो चीन की नाजायज दावेदारी है. चीन की विस्तारवादी नीति से दुनिया वाक़िफ़ है. सामान्य बुद्धि के मुताबिक़ किसी भी मुल्क का यह प्राथमिक दायित्व है कि वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाए जिसकी वजह से उसके सीमा क्षेत्र के नागरिकों के बीच असंतोष पैदा हो. वह भी ऐसी हालत में जब पड़ोसी मुल्क हमारी सीमा को मान्यता नहीं दे रहा है.मोदी सरकार की नाकाबिलियत इसीसे प्रमाणित हो रही है कि एक तरफ़ हमारे मुल्क का पैदाइशी विरोधी पाकिस्तान के साथ जुड़े कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद 370 को समाप्त कर इसने वहाँ के नागरिकों में गंभीर असंतोष और ग़ुस्सा पैदा कर दिया है. दूसरी ओर नागरिका संशोधन विधेयक के ज़रिए उत्तर-पूर्व के सीमाई इलाक़े में उथल-पुथल पैदा करने पर यह सरकार आमादा है.ऐसी हालत में मोदी सरकार का यह कदम देश भक्ति की उसकी समझ पर ही गंभीर सुबहा पैदा कर रहा है! दरअसल एक समुदाय विशेष के प्रति घोर नफ़रत के भाव ने इनको अंधा बना दिया है. देश का हित-अहित इनकी नज़रों से ओझल हो गया है. इसलिए ऐसे कदम का जो न सिर्फ़ हमारी संवैधानिक स्थापनाओं के विपरीत है बल्कि देश की अखंडता को भी जोखिम में डालने वाला है, विरोध करना हर देशवासी का कर्तव्य है.

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