पान के खेती को सरकार करेगी प्रोत्साहित

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राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के लिए ‘‘शेडनेट में पान की खेती का प्रत्यक्षण की योजना’’ के लिए कुल 339.66 लाख रू॰ की योजना स्वीकृत की गई है। इस योजना का संचालन मुख्य रूप से कृषि रोड मैप में चिह्नित पान विकास के जिला नवादा, नालन्दा, गया एवं मधुबनी के अलावा 13 अन्य जिलों यथा- वैशाली, खगड़िया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, औरंगाबाद, शेखपुरा, बेगुसराय, सारण, सिवान एवं मुंगेर जहाँ पान की खेती होती है, कराया जायेगा। इसके अलावे शेडनेट में पान की खेती प्रत्यक्षण का एक इकाई बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के पान अनुसंधान केन्द्र, इस्लामपुर, नालंदा में शत्-प्रतिशत अनुदान पर कराया जायेगा, ताकि प्रत्यक्षण का परिणाम तकनीकी रूप से भी परिलक्षित हो सके। साथ-ही-साथ पान आॅयल के औषधीय महत्व को देखते हुए पान आॅयल आसवन इकाई की स्थापना भी पान अनुसंधान केन्द्र में की जायेगी।
बिहार में जलवायु अधिक गर्म और ठंडी होने के कारण पान की खेती खुले खेतों में नहीं की जा सकती है। आम तौर पर किसानों द्वारा बरेजा के अंदर पान की खेती की जाती है। बरेजा के निर्माण बाँस, पुआल, काॅस, सुतली इत्यादि के उपयोग कर बनाया जाता है, जो प्राकृतिक आपदा से बर्वाद हो जाता है। बरेजा के अंदर पटवन करने पर भी काफी खर्च और परिश्रम लगता है तथा पान उत्पादन हेतु संतुलित वातावरण नहीं मिलने के कारण रोग एवं ब्याधि के प्रकोप की संभावना होती है। इसलिए सरकार द्वारा संरक्षित कृषि के अंतर्गत शेडनेट के स्थायी संरचना जिसमें सुक्ष्म सिंचाई यथा-ड्रिप एवं फाॅगर से की व्यवस्था रहती है, को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। शेडनेट के अंदर पान के खेती करने से कीट-ब्याधियों के प्रकोप से बचाव हो सकेगा, जिससे पान के गुणवत्तायुक्त पत्तियों के उत्पादन में वृद्धि होगी। साथ ही, शेडनेट के भीतर किसान भाई-बहन परवल, अरवी, मिर्च, लौकी, ककड़ी, पालक, अदरक, आदि का सफलतापूर्वक मिश्रित खेती से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

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