बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा बिहार राज्य अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 के प्रतिरोध में 01 मई से शांतिपूर्ण सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा है। संघ द्वारा नियमावली पर लगातार आपत्ति जतायी जा रही हैं एवं सरकार से वार्ता का बार-बार अनुरोध किया जा रहा है। परंतु सरकार द्वारा शिक्षक संघ के अनुरोध को बार-बार ठुकराया जा रहा है। इसी के मद्देनजर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि यह नियमावली असंवैधानिक है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा बार-बार वार्ता के लिए अनुरोध ठुकराये जाने के कारण विवश होकर शिक्षक संघ ने विधान मंडल सत्र आरंभ होने के दूसरे दिन 11 जुलाई को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है।शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि अध्यापक नियमावली- 2023 की कंडिका-8 में पूर्व से कार्यरत पंचायत एवं नगर निकाय द्वारा नियुक्त शिक्षकों को भी आयोग द्वारा विज्ञापित पदों पर नई नियुक्ति के लिए परीक्षा में बैठने की बाध्यता निर्धारित की गई है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि एक ही प्रकार के विद्यालय में एक ही तरह के पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले तीन-तीन वर्गो के शिक्षक बहाल किये जायेंगे। विधि के समक्ष समता का अधिकार यह है कि देश में किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा। लेकिन यह नियमावली शिक्षकों के बीच भेदभाव करती है। शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग ने प्रशासी पदवर्ग के द्वारा मात्र एक लाख अस्सी हजार पदों की स्वीकृति प्राप्त की है लेकिन विज्ञापन में एक लाख सत्तर हजार ही रिक्तियों को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये है और पूर्व से कार्यरत 04 लाख से अधिक शिक्षकों को भी उन्हीं रिक्तियों के विरूद्ध राज्यकर्मी के दर्जा प्राप्त करने के लिए आयोग की परीक्षा में उत्तीर्णता की शर्त रखी गई है, जो नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध है। अधिकतम 20 वर्षों एवं 16 और 17 वर्षों तक के भी नियुक्त शिक्षकों को फिर से नई नियुक्ति का अपमानजनक, अन्यायपूर्ण आदेश देना संविधान विरोधी एवं अराजकतापूर्ण है। यह नियमावली बेरोजगारी बढ़ाने वाली है। पूर्व से कार्यरत शिक्षकों पर छँटनी की भी तलवार लटकने वाली है। इस पर तुर्रा यह है कि नीचले तबकों के कर्मचारियों से विद्यालयों के निरीक्षण का दहशत फैलाया जा रहा है, यह निंदनीय है। शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि विधान मंडल के 100 से भी ज्यादा माननीय सदस्यों ने बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने का लिखित समर्थन किया है और माननीय मुख्यमंत्री को भी समर्थन पत्र भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही साथ पंचायत स्तर से लेकर स्थानीय निकाय एवं माननीय सांसदों ने भी पूर्व से कार्यरत शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया है। शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि इस प्रदर्शन में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ, बिहार नगर पंचायत प्रारंभिक शिक्षक संघ एवं परिवर्त्तनकारी शिक्षक संघों के अतिरिक्त अन्य संगठनों के भी हजारों-हजार की संख्या में भाग लेने शिक्षक 11 जुलाई को 11 बजे पटना पहुँचेंगे। यह प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण और अहिंसक होगा। जबतक राज्यकर्मी के दर्जा की घोषणा विधान मंडल के इसी सत्र में सरकार नहीं करेगी तबतक विधान मंडल के सदस्यों के आवास पर उस क्षेत्र के शिक्षक डेरा डालेंगे और उनपर राज्यकर्मी का दर्जा देने पर जोर डालने की आवाज को सदन के अंदर उठाने के लिए नैतिक दबाव डालेंगे। प्रेस वार्ता में प्राच्यप्रभा के संपादक विजय कुमार सिंह, बमेश्वर शर्मा, प्रवीण, मृत्युंजय कुमार, गैतम कुमार, मनोज कुमार आदि शामिल थे।
पटना में 11 जुलाई को लाखों शिक्षक करेंगे प्रदर्शन
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