पटना 10 दिसंबर,एनआरसी, नागरिकता संशोधन बिल तथा देश में शिक्षा पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ आज 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) को पूरे राज्य में शिक्षा अधिकार – नागरिकता अधिकार मार्च का आयोजन किया गया. राजधानी पटना में कारगिल चैक पर प्रतिरोध सभा आयोजित की गई. पटना के अलावा आरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सिवान, जहानाबाद, अरवल, गोपालगंज, नालंदा, समस्तीपुर आदि जिला केंद्रों पर भी नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रतिरोध मार्च निकाले गए.
पटना में कारगिल चैक पर प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा ने कहा कि आज पूरे देश में विभाजन की राजनीति देश की जनता पर थोपी जा रही है. डाॅ अंबेडकर ने कहा था कि हिंदूवादी ताकतें जब सत्ता के केंद्र में आ जाएंगी तब वह राष्ट्रीय विपत्ति के रूप में सामने आएगी. हिंदुस्तान की जनता को आज इसका समान करना पड़ा है. एनआरसी, सीएबी और एनपीए ये सबकुछ देश के संविधान पर हमला है. भाजपा समझती है कि पालर््ियामेंट में बहुमत मिल गया है तो वे देश के संविधान को रौंद देंगे. वैसी ताकतों को हम बताना चाहते हैं कि जब-जब संविधान पर हमला हुआ है, लोकतंत्र खत्म करने की साजिश हो रही है, पूरे देश की जनता ने एकताबद्ध होकर उसका मुकाबला किया है.आज पूरे उत्तर-पूर्व, बंगाल, दक्षिण भारत में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन शुरू हो चुका है. यह कानून दलितों-वंचिता, गरीबांे, अल्पसंख्यकों को शरणार्थी बनाने की कवायद है. इसके खिलाफ हम संघर्ष करेंगे. डा. लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौम 5 सालों का इंतजार नहीं करती. हम सीएबी की वापसी की लड़ाई अंतिम दम तक बढ़ायेंगे.
राजाराम सिंह ने एक बार फिर रात के अंधेरे में देश की नागरिकता को बदलने का फैसला किया गया. रात के अंधेरे में नोटबबंदी, जीएसटी या इस बार का सीएबी हो, सब देश के लिए खतरनाक साबित हुए हैं. आज पूरे देश में महिलाओं पर हमले तेज हो गए हैं. जेएनयू के छात्र जब फीसवृद्धि का विरोध कर रहे हैं, तब उनपर लाठियां चल रही हैं. बिहार के मजदूर यहां-वहां लगातार मर रहे हैं. मजदूरों-महिलाओं-गरीबों-छात्रों के लिए दिल्ली-पटना की सरकारें नहीं सोंचती है. उलटे भाजपा एक के बाद एक लगातार देश में फूट डालने का प्रयास कर रही है. हमारे बुनियादी अधिकार पर ही हमला बोल दिया है. देश का जो बुनियादी ढांचा है, उसी पर हमला बोल दिया है. हिंदुस्तान को सीएबी को खारिज करना होगा. क्या हुआ असम में? 19 लाख लोग बाहर कर दिए गए. वे आज कहां जाएंगे? डिटेंशन कैंपों में अबतक 28 लोगों की मौतें हो गई हैं. इसकी जवाबदेही कौन लेगा? भाजपा आज विरोध की आवाज अनसुना करके आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र के एजेण्डा को लागू कराने की कोशिश कर रही है, इसे चलने नहीं दिया जाएगा.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ नागरिकता के अधिकार पर हमला है, तो दूसरी ओर शिक्षा के अधिकार पर भी लगातार हमला किया जा रहा है. अपने पहले कार्यकाल से ही मोदी सरकार जेएनयू और अन्य विश्वविद्यालयों को लगातार निशाना बना रही है. अभी हाल में जेएनयू में भारी फीस वृद्धि कर दी गई. इसके खिलाफ देश भर में व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ. आज पूरे देश में ‘सस्ती शिक्षा – सबका अधिकार’ की मांग बुलंद हो रही है. जेएनयू आंदोलन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहाॅक शिक्षक भी विगत कई दिनों से आंदोलन की राह पर हैं. उन शिक्षकों को एक फरमान में सरकार ने हटा दिया है. यह उन शिक्षकों के साथ भद्दा मजाक नहीं तो और क्या है?
मोदी सरकार अब देश में ‘जिओ’ जैसी यूनिवर्सिटी को स्थापित कर रही है. यही वजह है कि पहले से मौजूद शिक्षण संस्थानों व व्यवस्था को तहस-नहस किया जा रहा है. सरकार शिक्षा के मामले में अपनी संवैधानिक जबावदेही से लगातार पीछे भाग रही है और उसे काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर रही है. यह सरकार नई शिक्षा नीति 2019 लेकर आई है. यदि यह लागू हो गया तो देश में कार्यरत अभी तकरीबन 50 हजार शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या 12 हजार पर पहुंच जाएगी. इस नीति के जरिए शिक्षा में पंूजी को अबाध प्रवेश मिल जाएगा, इसलिए इसका देशव्यापी विरोध हो रहा है.
आज के कार्यक्रम में उक्त वक्ताओं के अलावा भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता केडी यादव, केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चैबे, शशि यादव, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर, आरएन ठाकुर, रणविजय कुमार, अनिता सिन्हा, उमेश सिंह, समता राय, आरवाईए के बिहार राज्य सचिव सुधीर कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. आज के कार्यक्रम का संचालन भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व पटना नगर के सचिव अभ्युदय ने किया.