पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अतिपिछड़ों पर नीतीश कुमार को भरोसा नहीं रहा इसलिए राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान से संबंधित आधी-अधूरी रिपोर्ट आनन-फानन में तैयार करा ली गई और पोल खलने के डर से इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। उन्होंने कहा निकाय चुनाव के मुद्दे पर गत 1 दिसम्बर को सुनवाई की तारीख थी। फजीहत के डर से आयोग ने खानापूर्ति कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी। सर्वे भी जल्दबाजी में कराया गया। श्री मोदी ने कहा कि पूरा मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है। ऐसे में क्या सरकार गारंटी दे सकती है कि निकाय चुनाव फिर स्थगित नहीं होंगे? निकाय चुनाव को लेकर बिहार में संदेह की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत में खोट थी, इसलिए निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने के बजाय अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को ही अधिसूचित कर नया टास्क सौंप दिया गया। श्री मोदी ने कहा कि बिहार अतिपिछड़ा वर्ग आयोग सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुरूप नहीं है। यह विशेषज्ञ लोगों का निष्पक्ष और स्वतंत्र आयोग नहीं, बल्कि राजद और जदयू के नेताओं की एक कमेटी है, जिसने मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुसार रिपोर्ट तैयार कर दी। आयोग के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। कई सदस्यों को रिपोर्ट सौंपे जाने की जानकारी भी नहीं है। श्री मोदी ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भी स्वतंत्र नहीं रह गया है। यह बिहार सरकार के एक विभाग की तरह काम कर रहा है।
निकाय चुनाव को लेकर बिहार में संदेह की स्थिति
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