कोरोना पोजिटिव ने लाॅकडाउन को दिखाया आईना, हरियाणा से अरवल तक की दूरी किया तय-माले

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कुर्था प्रखंड के सिमुआरा गांव के रहने वाला रामाकांत यादव का कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है. वह गुरु ग्राम में एक कंपनी में काम करता था और 19 अप्रैल को गुरुग्राम से अपने ही गाड़ी से अरवल तक चला आया.
अरवल तक आने के दौरान दिल्ली और बिहार के बीच सुरक्षा की सरकारी व्यवस्था से उसे कोई पाला नहीं पड़ा. उसे कहीं भी रोका नहीं गया और उसे कोई पूछताछ नहीं की गई. यदि उसे सघन पूछताछ की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता तो उस क्वॉरेंटाइन में रखा गया होता. लेकिन वह हरियाणा से सीधे बिहार बिहार के विभिन्न जिलों से गुजरते हुए अरवल पहुंच गया जो सरकार के व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करते हैं.
वह सीधे अपना ससुराल महुली पहुंचा जहां उसकी पत्नी और बच्चे रह रहे थे अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर महोली से बहन के घर गम्हारी (हसपुरा) गया और वहां भी रात भर रहा. उसके बाद अपना गांव सिमुआरा आया.
सिमुआरा गांव में आते ही गांव वाले लोगों ने उसे जांच कराने के लिए सलाह दी. उसने हरियाणा की जांच का हवाला देते हुए जांच कराने से इनकार कर दिया. हालांकि गांव में जब जांच करने वाली टीम पहुंची तो उसने टीम को भगा दिया जांच कराने से इनकार कर दिया.
सामंती पिछड़ापन का यह सब चिंतन न केवल अपने परिवार और समाज के प्रति गैर जिम्मेदाराना हरकत पैदा कर रहा है बल्कि सूचना करने वालों के साथ मारपीट गाली-गलौज करने पर भी उतारू हो जा रहा है जो यह बहुत ही खतरनाक है.
कोरोना बीमारी की भयावहता एवं इसके बढ़ने के कारणों में बाहर से आने वाले लोगों का प्रधान कारण होने के कारण ही तुरंत लोग सूचना कर देते हैं. हालांकि इसकी सूचना घर के परिवार वालों को ही कर देना चाहिए था. लेकिन दूसरे लोगों के द्वारा सूचना करने के कारण पूरे परिवार वाले उल्टे लाठी डंडा लेकर सूचना देने वालों के घर पर चढ़कर गाली गलौज करने लगते हैं. जैसे किसी अपराधी के बारे में सूचना किया गया हो. कोई अपराध किए हों और उसे सजा होने वाली है इस हिसाब से लोग विरोध करते हैं जो कहीं से उचित नहीं है.
सभी लोगों को यदि जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़े तो और भी बेहतर होगा. पूरी दुनिया में ज्यादा से ज्यादा जांच करने की मांग उठ रही है लेकिन यहां जांच कराने की रिपोर्ट करने पर लोग गाली गलौज और झगड़ा करने पर उतारू हो जा रहे हैं. हो जाए तो इससे क्या है ज्यादा से ज्यादा लोगों को जांच करवाना चाहिए लेकिन जांच करवाने की सूचना देने पर झगड़ा पर उतारू हो जाते हैं. यह आपस में तनाव पैदा करने और स्वास्थ्य की समझ को खारिज करने के अलावा कुछ नहीं है. इससे बचना ही होगा.
*बीमारी के साथ गांव में तनाव भी पैदा कर दिया* बाहर से रामाकांत की आने की खबर गांव के ही एक शिक्षक अजय कुमार जो उसी के गोतिया में आने वाले उसके शुभचिंतक हैं, जांच कराने की बीडियो एवं थाना प्रभारी को दिया. जब एंबुलेंस के साथ जांच करने वाली टीम वहां पहुंचा तो जांच कराने से इंकार कर दिया. उसने खबर देने वाले शिक्षक एवं उनके परिवार को गाली गलौज करने लगा. घर पर चढ़कर मारपीट करने पर उतारू हो गया. शिक्षक अजय कुमार के बुजुर्ग पिता जी सुनील कुमार के साथ गाली-गलौज एवं मारपीट पर उतारू हो गया. वे लोग लिहाज रखते हुए चुप रहे और घर में रहे. शिक्षक अजय कुमार ने इसकी भी सूचना थाना प्रभारी एवं वीडियो को दिया. जब इसे गंभीरता से लेने के लिए शिक्षक अजय कुमार ने पुलिस पदाधिकारी और बीडियो पर दबाव बनाए तब उसे अरवल ले जाकर जांच कराने के लिए दबाव बनाया गया और जांच के लिए सैंपल भेजा गया. उसे तबतक क्वॉरेंटाइन में रखा गया जब तक की जांच रिपोर्ट न आ जाए. 25 अप्रैल को उसका जांच रिपोर्ट पॉजिटिव जब आया तो पूरे गांव ही नहीं जहां-जहां वह गया था सब जगह हड़कंप मच गया. पूरे जिला में गजब का माहौल बन गया. जिला में पहला केस मिलने से जिला के अंदर एक दूसरे तरह का माहौल बन गया.

रामाकांत कुमार जो गुड़गांव से आया था उसने गांव के लोगों को कहा हमें कुछ नहीं हुआ नहीं है. हम स्वस्थ हैं. ठीक-ठाक हैं. गुड़गांव में जांच हुआ है. वह अपने उम्र के कई नौजवानों के साथ मुर्गा-मीट बनाकर खाया और साथ में इधर-उधर भी घुमा. वह कई गांव में और बाजार में भी गया. बगल के गांव जगदीशपुर में भी गया था. इस तरह से इधर-उधर वह घूमते रहा.
डीएम ऑफिस में काम करने वाला अरवल निवासी उसके रिस्तेदार सुब्बा यादव के घर अरवल में उसके आने की खबर भी फैल गई. उमेश पासवान के द्वारा रामाकांत के बारे में डीएम कार्यालय में सुब्बा यादव के घर आने की सूचना की गई. जबकि रमाकांत यादव सुब्बा जादव के घर नहीं आया था. फिर भी यह कोई झगड़ा-झंझट या तनाव की बात नहीं थी. सूचना देने वाले उमेश पासवान के साथ सुब्बा जादव गाली-गलौज एवं मारपीट कर दिया. उसने कहा कि ‘क्यों तुमने सूचना दिया.’ उमेश पासवान थाना में मुकदमा किया है. यानी अरवल में कोरोना के एक मरीज का शिनाख्त हुआ कि जिला के दो गांव में तनाव एवं झगड़ा हो गए. जो कहीं से उचित नहीं है
राज्य का बॉर्डर सील है. जिला का भी बॉर्डर सील है. सील होने के बावजूद वह पूरे परिवार के साथ अपना गांव, गुरुग्राम से आ गया. गाड़ी की सघन जांच पड़ताल होता तो गांव में आने से पहले ही उसे क्वॉरेंटाइन में रखा जाता और इस तरह के गांव में दहशत नहीं फैलता. सरकार की जो व्यवस्था है इसकी भी समीक्षा की जानी चाहिए. आखिर पैसे वाले गाड़ी से क्यों बाहर से चले आ रहे हैं ? उनकी जांच पड़ताल क्यों नहीं हो रही है? यह बहुत ही गंभीर मामला है. इसको गंभीरता से लिया जाना चाहिए. साथ ही व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करते हैं.
रामाकांत का सिमुआरा गांव में कई लोगों के साथ मिलना जुलना रहा है. उसने संजीव कुमार से दाढ़ी बनवाया है.
गांव को सील कर दिया गया है. गांव के लोगों को घर में ही रहने की हिदायत दी गई. लेकिन इतना ही भर से काम नहीं चलेगा. पूरे गांव के लोगों की जांच होनी चाहिए और जहां कहीं भी इन लोगों का जुड़ाव रहा है उस इलाके को जांच की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए ।

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