एच3एन2 (इन्फ्लूएंजा वायरस) को रोकने के लिए हेल्थ एडवायजरी

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जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने एच3एन2 (इन्फ्लूएंजा वायरस) के रोकथाम हेतु सिविल सर्जन, पटना को सतत निगरानी करने एवं सभी तरह की सतर्कतामूलक कार्रवाई करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निर्गत हेल्थ एडवायजरी का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पतालों तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम को सतत सक्रिय रखें। अस्पतालों में आवश्यकता पड़ने पर बेड रिजर्व करें।

डीएम डॉ. सिंह ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि इस बीमारी के लक्षणों एवं क्या करें, क्या ना करें का बृहत्-स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए।

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डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि एच3एन2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसे इन्फ्लूएंजा ‘ए’ वायरस कहा जाता है। यह एक श्वांस संबंधित वायरल संक्रमण है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है। देश के विभिन्न हिस्सों में एच3एन2 (इन्फ्लूएंजा वायरस) के कई मामले प्रतिवेदित हो रहे है। अतः जिला में इस बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिये सतत् निगरानी बरतनी होगी।

रिस्क ग्रुपः- अस्थमा एवं लंग इन्फेक्शन के मरीज, बुजुर्ग, गर्भवती महिलायें एवं बच्चे।

एच3एन2 (इन्फ्लूएंजा वायरस) के लक्षणः-

* एक सप्ताह या इससे अधिक दिन तक बुख़ार,
* बुखार भी तेज होना
* खांसी काफी समय तक रहना
* बलगम की परेशानी बढ़ना
* नाक से पानी आना
* सिर में दर्द रहना
* उल्टी जैसा महसूस होना
* भूख कम लगना
* शरीर में दर्द रहना

जिलाधिकारी डॉ सिंह ने बीमारी के संचरण को रोकने के लिए निम्न निदेश दिया हैः-

1. जिला, मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ओपीडी एवं आईपीडी में इन्फ्लूएंजा लाइक इल्नेस (आईएलआई) एवं सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (सारी) के मरीजों पर नजर रखें एवं सारी के रैन्डम सैम्पलस को लैब संपुष्टि के लिए आरएमआरआई, पटना भेजना सुनिश्चित करें। आईएलआई एवं सारी के मामलों की रिपोर्टिंग आईएचआईपी पर करना सुनिश्चित करें।

2. कोविड मरीजों के लिये चिन्हित आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू को तैयार रखा जाये।

3. आमजन में इस बीमारी एवं इसके रोकथाम के लिये सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) गतिविधियां सुनिश्चित करें। प्रचार प्रसार के लिये निम्न बातों पर ध्यान केन्दित किया जाये:-

खांसते एवं छीकतें समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें।

हाथों को समय-समय पर पानी एवं साबुन से धोते रहे,

स्वयं को हाइड्रेट रखें, पानी, फ्रूट जूस या अन्य तरल पेय पदार्थ लेते रहें ,

नाक और मुंह छूने से बचें,

बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल लें,

सार्वजनिक स्थल पर न थूकें,

चिकित्सक की सलाह लिए बगैर एन्टीबायोटिक्स नहीं लें।

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