*2 माह में खुले 250 प्रदूषण जांच केंद्र, अब तक 13 लाख से अधिक लोगों ने बनवाया वाहनों का प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट*
– सरकारी नियमों में परिवर्तन करने से हर जिले में खुल रहे हैं प्रदूषण जांच केंद्र
– प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए जिलों में जिला परिवहन पदाधिकारी को डेलीगेट किया गया है पावर
– परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि नियमों में परिवर्तन किए जाने से राज्य में प्रदूषण जांच केंद्रों की बढ़ी है संख्या
– अधिक से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र खुलने से लोगों को रोजगार का मिल रहा अवसर
– बिहार में वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने दी है कई छूट
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परिवहन विभाग द्वारा नियमों में बदलाव किए जाने के बाद जिलों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। करीब दो माह में 250 प्रदूषण जांच केंद्र खोले गए हैं। वहीं अब तक जून 2019 से जनवरी 2020 तक राज्यभर में 13 लाख 12 हजार 752 लोगों ने अपने वाहनों का प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनवाया है।
परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि प्रदूषण जांच केंद्र खोलने के लिए नियमों में परिवर्तन किए जाने से राज्य में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या बढ़ी है। जिलों में केंद्र खोलने के लिए अधिक से अधिक आवेदन आ रहे हैं । प्रदूषण जांच केंद्र खुलने से लोगों को रोजगार का भी अवसर मिल रहा है।
अब प्रदूषण जांच केंद्र खोलने हेतु लाइसेंस लेने के लिए लोगों को पटना आने का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है।हर जिले के प्रखंडों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खोलने का लाइसेंस जिला परिवहन पदाधिकारी दे रहे हैं। अब तक यह अधिकार राज्य परिवहन आयुक्त के पास था।
मोटर वाहन से निकलने वाले प्रदूषण को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है। राज्य के सभी प्रखंडों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खोलने की कार्रवाई की जा रही है।
मोटर वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए राज्य में अब तक कुल 734 प्रदूषण जांच केंद्र खोले गए हैं। अब नए केंद्र खोलने में लोगों को काफी सहूलियत हो रही है।
परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि अब इंटर (साइंस) पास व्यक्ति भी वाहन प्रदूषण जांच केंद्र चला सकते हैं।
पूर्व में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र पर मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या ऑटोमोबाइल अभियंत्रण में डिग्रीधारी या डिप्लोमाधारी को ही वाहन प्रदूषण जांच केंद्र पर रखा जाना आवश्यक था। लेकिन, वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों की पर्याप्त संख्या में वृद्धि हो सके, इसके लिए इंटरमीडिएट या 12वीं कक्षा (विज्ञान के साथ) उत्तीर्ण व्यक्ति को भी वाहन प्रदूषण जांच केंद्र पर रखे जाने का प्रावधान किया गया है।
राज्य में अधिक से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र की स्थापना हो सके इसके लिए राज्य सरकार द्वारा लिये जाने वाले अनुज्ञप्ति, नवीकरण, आवेदन सहित अन्य शुल्क में कमी की गई है। साथ ही वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों का लाइसेंस या लाइसेंस का रिन्यूअल आसानी से हो सके इसके लिए ऑनलाइन शुल्क जमा करने की व्यवस्था की गई है।
बीएस-4 या बीएस-6 की गाड़ियों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण-पत्र की वैधता अधिकतम एक साल की होगी। वहीं पुराने वाहन के लिए अधिकतम 6 माह की अवधि के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा।
परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि हर प्रखंड वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खोले जाएंगे। इसके साथ ही पेट्रोल पंप, वाहन विक्रय केंद्र एवं सर्विस सेंटर में भी केंद्र खोलने के प्रोत्साहित किया जाएगा। चलंत प्रदूषण जांच केंद्रों की स्थापना के लिए भी प्रावधान किये गये हैं ताकि अधिक से अधिक वाहनों की जांच की जा सके।